वो एक तरफ अपनों के फायदे के लिए अपना क़त्ल करना चाहता था ---- और दूसरी तरफ अपनों को फ़साना भी चाहता था....
इस उपन्यास को पढ़ने के बाद आपको मान ना पड़ेगा की जासूसी उपन्यास के नाम पर हर बार एक जैसा…
जी चाहता हैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ियां खोल दूँ। इस काम करने से दुनिया की कोई ताक़त इस वक़्त मुझे रोक भी नहीं सकती। मगर नहीं, इतनी आसान सजा नहीं दे सकता मैं तुम्हे। तुम्हारे खून से अपने हाथ…
एक ऐसे किरदार की बड़ी ही मार्मिक कहानी है ये जिसे ‘अपनों’ से प्यार,विश्वास, सहानुभूति और अपनत्व की सख्त जरूरत थी लेकिन मिला धोखा, घृणा अविश्वास और तिरस्कार। बुरी तरह तिलमिला उठा वह। उसकी तिलमिलाहट…
चक्रव्यूह, वेद प्रकाश शर्मा... ‘चक्रव्यूह’ उपन्यास नहीं बल्कि आपके लिए सचमुच का ‘चक्रव्यूह’ है। आप इस ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ नहीं पाएंगे अर्थात् रहस्य खुलने से पहले मुजरिम का नाम नहीं जान पाएंगे आप।…
वेद प्रकाश शर्मा द्वारा खुद पर लिखी गया उपन्यास जिसमे उन्होने विभा जिंदल के साथ मिलकर पकड़ा एक ऐसे हत्यारे को जो लोगो को पहेली हल करने देता था जिसे उसे करनी पड़ती थी पूरी सिर्फ़ साढ़े तीन घंटे के…