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Pishachon Ki Malika Parshuram Sharma Hindi Novel

धीरे-धीरे रूपकंवल का हुलिया बदलता जा रहा था- उसका चेहरा बिगड़ता जा रहा था। चेहरे का गोश्त खिंचा-नुचा था।
‘आज यह तुम्हारे सामने असली शक्ल में आ जाएगी पुरुषोतम! सदियों पुरानी रूह अपना अस्तित्व गंवाएगी।’ रत्नराज ने कहा।
‘मैं असली शक्ल में आ जाऊंगी रत्नराज! परन्तु तुझे नहीं छोड़ूगी- इस बात को समझ लें- अच्छी तरह याद रख।’ रूपकंवल ने गुर्राते हुए कहा-
‘यहां से निकल जाओ देवी- तब यह सारी बातें हैं।’ रत्नराज ने मुस्कराते हुए कहा।
‘मैं यहां से जरूर निकल जाऊंगी रत्नराज, तू मेरी शैतानी शक्ति छीन लेगा- पिशाच मर जाएगा- पर पिशाचों की मलिका जिन्दा रहेगी। मैं जिन्दा रहूंगी- तुझे यह बात मालूम नहीं है कि मुझे मार डालना आसान काम नहीं है तेरे लिए।’ रूपकंवल ने कहा।
‘तू जिन्दा रहेगी रूपकंवल- तू जिन्दा रहेगी लेकिन एक ऐसे मुर्दा केंचूए की तरह जिसके अन्दर कोई जान नहीं होती।’
‘भूल जा- भूल जा इस बात को रत्नराज! मैं जानती हूं कि मुझे असलियत हासिल करने के लिए क्या करना होता है।’ रूपकंवल ने कहा।

Name: Pishachon Ki Malika
Format: PDF
Language: Hindi
Pages: 115
Size: 1.8 MB
Series: Maharani Series Part-2

Novel Type:  Thrillers & Suspense, Mystery, Horror

Writer: Parshuram Sharma

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