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Inka Ke Pujari Parshuram Sharma Hindi Novel

पहले मनु फिर मनोज मनोज ठाकुर और उसके बाद कुंवर मनोज ठाकुर यह उसकी जिंदगी के तीन पड़ाव थे। मनोज से मेरी पहली मुलाकात एक ट्रेन में हुई इस शेर के साथ उससे मेरा तअरुक हुआ ….. मुक्तसर सी जिंदगी है कुछ रेल में कट जायेगी कुछ जेल में

उस वक्त तो खैर वह फर्स्ट क्लास के कंपार्टमेंट में बिना टिकट यात्रा कर रहा थाऔर यह शेर उसने टीसी से कहा था। इसी शेर से आकर्षित होकर मैंने उसकीटिकट बनवा ली। टिकट कलकत्ता तक की थी पर वह बीच रास्ते में ही गायब हो गया। सफर के दौरान उसने मुझे अपनी जितनी भी दास्तान सुनाई। उसे सुनने केबाद उसके शेर का अर्थ समझ में आया। दरअसल वह शख्स इन्का का कैदी था। जितना भी वक्त उसने इन्का के साथ गुजारा वह बेहद रोमांचकारी और हाहाकारीथा। उसकी यह जिंदगी शायद बहुत छोटी थी इन्का जो तांत्रिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी जिसे सिद्ध करने के लिए जाने कितने तांत्रिक मर खप गए। वह इन्का मनोज पर मेहरबान थी और उस मेहरबानी की वजह उसका पिछला जन्म था।

बचपन में तो उसके माता-पिता ने गरीबी के कारण उसे तांत्रिकों के हाथ बेच दिया था।तांत्रिक इस बच्चे की बलि चढ़ाकर इन्का को सिद्ध करना चाहता था पर उसकादुष्परिणाम यह हुआ कि उसे अपनी ही जान लेने के लाले पड़ गए। फिर मनोज की परवरिश अनाथाश्रम में हुई। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वह दिल्ली मेंरहने लगा और क्लर्क की नौकरी करने लगा। यह दास्तान में परशुराम शर्मा इसलिए दोहरा रहा हूँ ताकि “इन्का के पुजारी” पढ़ने से पूर्व स्क्रीन पर फ़िल्म साफ दिखाईदे। जाहिर है सारांश लिखते समय में उस कथा का विस्तार से वर्णन नहीं कर पाऊंगा। केवल स्क्रीन सारांश से कथा को मूल ट्रैक पर लाने का प्रयास करूंगा।

Name: Inka Ke Pujari
Format: PDF
Language: Hindi
Pages: 163
Size: 2 MB

Series: Inka Series Part 4
Novel Type:  Fiction, Fantasy, Horror

Writer: Parshuram Sharma

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1 Comment
  1. Ram says

    Hello, can you please upload Rajbharti’s Chakravyuh/Kamalkant series novels “Highcommand” & other novels and Ved Prakash Kamboj’s Vijay Raghunath series novels. Thanks

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