Free Download Bhagoda Apradhi Ved Prakash Kamboj Hindi Novel Pdf
रात अंधेरी है नभ में घनेरी है लोग-बाग सब सोए पड़े हैं जो जागे सो नग से जड़े हैं चौकीदार भी तेज बड़े हैं पाये बैठे और पाये खड़े हैं हम अपनी किस्मत से लड़े हैं इसीलिए सरे राह पड़े हैं विजय इस कमी को भी गाता जा रहा था और पहिए का पेच भी कसता जा रहा था। वह रघुनाथ के साथ रात का अन्तिम शो देखकर भाषा था। फिल्म में बड़ा मजा आया किन्तु वह सारा मजा घरा रह गया। अचानक ही पिछले पहिए में पवर हो गया। फालतू पहिया निकाला। काफी लम्बे समय से उसके उपयोग की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी थी, न उसकी विशेष देखभाल ही की गई थी। इसलिए उसमें हवा काफी कम थी। इरादा हुआ कि कार को वहीं छोड़ दिया जाए लेकिन तभी उसे उस इलाके में एक पैट्रोल पम्प का ध्यान या गया। पहिए को लुढ़काकर वह वहां ले गया। हवा भराई और फिर खुड़काता हुआ वापिस पाया कोई विशेष कठिनाई थी। लेकिन परेशानी तो हो ही गई। पास बड़े रघुनाथ ने माराम से सिगरेट का कश लेते हुए कहा ‘प्रये काम करते वक्त भामकाया मत करो। इससे सांस ज्यादा फूलता है।’
Name: Bhagoda Apradhi
Format: PDF
Language: Hindi
Pages: 128
Size: 20 MB
Novel Type: Thriller & Suspense, Jasoosi
Series: Vijay Raghunath Series
Writer: Ved Prakash Kamboj