Free Download Deshdrohi Vicky Anand Hindi Novel Pdf
‘क्यों… ये गाली पसन्द नहीं आई? च-च-च-च-च! सच का घूंट कितना कड़वा होता है देशद्रोही ही कहा तो जल-भुन गए तुम शमशेर सिंह। जिस थाली में खाया उसी में छेद कर दिया। लेकिन घबराओ नहीं… इसमें घबराने वाली कोई बात यूं भी है ही नहीं। महज तुम ही एक देशद्रोही नहीं… जब से देश आजाद हुआ है तब से आज तक उंगलियों पर गिने जा सकने वाले लोगों ने ही देश के लिएकुछ किया है या करने की कोशिश की है वरना तोहर शख्स देश को नोचकर बेचकर खा जाने की कोशिश में लगा है। अगर अपनी जेब में पांच रुपये पहुंच रहे हैं और देश की पांच लाख की सम्पत्ति नष्ट हो रही है या होने की संभावना पैदा हो रही है तो पांच रुपये का मुनाफा उस पांच लाख की सम्पत्ति के एवज में स्वीकार कर लिया जाएगा। कमीशन जेब में और पुल धड़ाम से नीचे ।’ ‘अगर तुम सभी को गुनहगार समझ रहे हो तो फिर मुझे ही देशद्रोही क्यों मान रहे हो? कोई नेता देश के लिए कमजोर हथियार खरीद रहा है।
Name: Deshdrohi
Format: PDF
Language: Hindi
Pages: 383
Size: 30 MB
Novel Type: Thriller & Suspense, Jasoosi
Writer: Vicky Anand