महेन्द्रगढ़ की बरसों से सुनसान पड़ी हवेली में-बीस साल पहले एक खूनी कांड हुआ था। और अब -ठीक बीस साल बाद। उसी हवेली में एक-एक करके वो सभी किरदार जमा होने लगे-जो किसी ना किसी रूप में उस कांड से सम्बंधित…
"क"कौन हो तुम?"
"इंसाफ का शहंशाह !" इन्सान मशीन के होंठों से फुफकार भरा स्वर उभरा।
“सजा देने के लिए मैंने ही बुलाया था तुम दोनों को यहां वह फोन दिनेशसिंह ने नहीं, मैंने किया था।"
"त" "तुमने किया…